वृक्षारोपण क्यों बन गया सोशल मीडिया पर नया ट्रेंड ? | जानिए पर्यावरण पर इसके प्रभाव

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वृक्षारोपण-Tree-Planting

प्रिय पाठकों बलवान कृषि के ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है।  

वृक्षारोपण के बदलते ट्रेंड: आजकल सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पेड़ लगाने का ट्रेंड देखने को मिल रहा है। नेता हो या अभिनेता, विधायक हो या सरपंच या फिर आम लोग सभी पेड़ लगाने की इस मुहीम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं, पेड़ लगाते हुए अपनी सेल्फी और वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड कर रहे हैं।

कई Influencers Instagram पर एक फॉलो पर एक पेड़ लगाने की अपील कर रहे हैं। हालाँकि वृक्षारोपण के ट्रेंड में थोड़ी सी पब्लिक सिटी पाने की, फेमस होने की और Followers बढ़ाने की झलक भी मिलती है लेकिन फिर भी यह एक सुखद प्रयास है।

पर्यावरणीय सुधार में वृक्षारोपण

पर्यावरणीय सुधार में वृक्षारोपण मुख्य भूमिका निभाता हैं। पेड़ पौधे पर्यावरण का संतुलन बनाये रखते हैं। पेड़ जलवायु परिवर्तन को कम करने में सहायक है। पेड़ भूमि के कटाव को रोकते हैं। पेड़ वन्यजीवों के लिए आवास प्रदान करते हैं। पेड़ वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड सोंख लेते है और ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं, जिससे वायु की गुणवत्ता में सुधार होता है और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।

इसलिए पौधारोपण मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण संतुलन और वातावरण सुधार की दृष्टि से अत्याधिक महत्वपूर्ण है ।

वृक्षारोपण की आवश्यकता

आज के समय में ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर समस्या बन चुकी है। विश्व के सभी देश इस समस्या को लेकर चिंतित हैं। पिघलते ग्लेशियर और ओज़ोन परत पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव ने यह साबित कर दिया है कि अगर हम अभी नहीं चेते, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए हालात बहुत बुरे हो सकते हैं। 

एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि उचित कदम नहीं उठाए गए, तो जलवायु परिवर्तन 80 वर्षों में लगभग 80 मिलियन लोगों की जान ले लेगा। इस दृष्टि से भी आज के इस दौर में पेड़ों की खेती और वृक्षारोपण (Tree Planting) की अत्याधिक आवश्यकता है।

वृक्षारोपण के बदलते ट्रेंड में सोशल मीडिया की भूमिका

किसी भी ट्रेंड को चलाने में सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम है। वृक्षारोपण के बदलते ट्रेंड में सोशल मीडिया का अत्याधिक योगदान रहा है। सोशल मीडिया के कारण ही देखते ही देखते ये ट्रेंड पुरे भारत के साथ साथ पुरे विश्व में फ़ैल गया।

आज लोगों को स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तर और पब्लिक पार्क आदि जगह पेड़ लगाने को लेकर जागरूक किया जा रहा है। आज जब भी आप इंस्टाग्राम की रील स्क्रॉल करेंगे तो आपको हर दूसरी तीसरी रील इको-फ्रेंडली पौधारोपण के ट्रेंड की ही मिलेगी। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से ये ट्रेंड बहुत प्रशंसनीय है।

पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण में प्रशासनिक भूमिका

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के वृक्षारोपण पहल के बाद कई राज्यों के मुख्यमंत्री, विधायक, सांसद, प्रशासनिक अधिकारी, सरपंच आदि पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण के महत्त्व को देखते हुए, पेड़ लगाने के ट्रेंड को बढ़ावा दे रहे हैं।

वृक्षारोपण को लेकर सामाजिक जागरूकता के उदाहरण

आजकल समाज में भी पर्यावरण को लेकर जागरूकता बढ़ी है। हर कोई अपनी क्षमता अनुसार पेड़ लगाने की कोशिश कर रहा है। भारत के कई राज्यों में वृक्षारोपण के सफल उदाहरण देखने को मिल रहे हैं। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में ‘सातारा’ जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाले लोग हर साल 10,000 से ज्यादा पेड़ लगाते हैं। इसी तरह राजस्थान में ‘पिपलांत्री’ गांव में हर बच्ची के जन्म पर 111 पेड़ लगाने का रिवाज है। यह Tree planting trend सराहनीय है।

निष्कर्ष

वृक्षारोपण का महत्व आज के समय में जितना है, शायद पहले कभी नहीं था। ग्लोबल वार्मिंग, पिघलते ग्लेशियर और ओज़ोन परत के नष्ट होने जैसी समस्याएं हमें बार-बार यह याद दिलाती हैं कि हमें अपने पर्यावरण के प्रति अधिक जिम्मेदार होना होगा क्योंकि यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण सुनिश्चित करेगा।

इसलिए, हमें इस अभियान को सिर्फ एक ट्रेंड तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि इसे अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाना चाहिए। जब हम पेड़ लगाते हैं, तो हम सिर्फ एक पेड़ नहीं, बल्कि एक पूरी पीढ़ी के भविष्य की नींव रखते हैं।

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लगातार पूछे जाने वाले प्रश्न

1. पर्यावरण के लिए वृक्षारोपण क्यों आवश्यक है?

पर्यावरण के लिए वृक्ष-रोपण आवश्यक है क्योंकि पेड़ वायु में ऑक्सीजन बढ़ाते हैं, प्रदूषण को कम करते हैं और जलवायु को संतुलित रखते हैं।

2. प्रदूषण रोकने वाला पेड़ कौन सा है?

प्रदूषण रोकने में पीपल, नीम, तुलसी, और बरगद जैसे पेड़ अत्यधिक प्रभावी हैं। ये पेड़ अधिक मात्रा में ऑक्सीजन उत्सर्जित करते हैं और हानिकारक गैसों को सोखते हैं।

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ओम गोधवानी

ओम गोधवानी बलवान कृषि में कंटेंट क्यूरेटर विभागाध्यक्ष हैं, जिनके पास कृषि और किसानों से सम्बंधित कंटेंट क्यूरेटशन में कई वर्षों का अनुभव है।

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