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रासायनिक उर्वरक (Chemical Fertilizers) के प्रभाव से खेती की ज़मीने धीरे धीरे बंज़र होती जा रही हैं। खेत की मिट्टी के साथ साथ रासायनिक खाद के माध्यम से उगने वाला अनाज भी मानव जाती के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डाल रहा है। कई दशक पहले जब देश खाद्य की कमी को पूरा करने के लिए हरित क्रांति के रूप में लाया गया एक तात्कालिक समाधान जो की खेती में रासायनिक उर्वरक का उपयोग था, आज किसान और नयी पीढ़ी के लिए श्राप बन चुका है।
मिट्टी के बंज़र होने से किसान लगातार आत्म हत्या कर रहा है। National Crime Records Bureau (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर घंटे एक किसान/खेतिहर मजदूर आत्महत्या करता है। आज के ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे रासायनिक उर्वरक क्या है और इन उर्वरकों के दुष्प्रभाव के बारे में।
रासायनिक उर्वरक क्या है ?
रासायनिक उर्वरक ऐसे उर्वरक होते हैं जो कृत्रिम रूप से रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा तैयार किए जाते हैं और इनमें पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम शामिल होते हैं। इन उर्वरकों का उपयोग मृदा की उर्वरता को बढ़ाने और फसलों की पैदावार को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
रासायनिक उर्वरकों (Chemical Fertilizers) के उपयोग की शुरुआत
1960 के दशक के मध्य में भारत लगातार सूखे का सामना कर रहा था। उस समय देश की स्थिति इतनी खराब थी की देश P.L.480 स्कीम के तहत अमेरिका से 10 मिलियन टन खाद्यान्न का आयात कर रहा था। इसके अलावा तात्कालिन सरकार के लिए सबसे चिंताजनक स्थिति तो यह थी की भारत के पास इसके भुगतान के लिये पर्याप्त विदेशी मुद्रा नहीं थी।
उस समय खाद्यान संकट को दूर करने के लिए हरित क्रांति की नींव रखी गयी। इस क्रांति के अंतर्गत खेती में रासायनिक उर्वरक (Chemical Fertilizers) का जम कर उपयोग होने लगा। उस वक्त तो इस खाद्य संकट पर देश ने नियंत्रण पा लिया लेकिन साथ ही हरित क्रांति ने भविष्य के लिये आने वाले संकटों और दुष्प्रभावों की भी नींव रख दी।
रासायनिक खाद से बढ़ता खतरा
खेती में रासायनिक उर्वरक के अत्यधिक उपयोग से खेत की मिट्टी में अम्ल की मात्रा बढ़ने के साथ अब जिंक और बोरान जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती जा रही है। इसका दुष्प्रभाव मिट्टी पर तो पड़ रहा है, इसका दुष्प्रभाव मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है।
रासायनिक खाद के नुकसान
रासायनिक खाद का अधिक इस्तेमाल मिट्टी की गुणवत्ता खराब करता है, जिससे उसकी उर्वरता कम हो जाती है। ये उर्वरक जमीन के प्राकृतिक पोषक तत्वों को खत्म कर देते हैं। इसके अलावा, इन रसायनों से पानी की गुणवत्ता पर भी बुरा असर पड़ता है।
ये उर्वरक बारिश या सिंचाई के पानी के साथ बहकर नदी, तालाब और भूजल तक पहुंच जाते हैं, जिससे पानी में जहरीले रसायन घुल जाते हैं। यह पानी पीने योग्य नहीं रहता और मछली जैसे जलीय जीवों को भी नुकसान पहुंचता है।
ज्यादा रासायनिक उर्वरक के इस्तेमाल से फसल पर कीट और बीमारियां बढ़ सकती हैं, क्योंकि यह प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ देता है और लगातार इनका उपयोग करने से फसलों में भी रसायन जम जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
रासायनिक उर्वरक का पर्यावरणीय प्रभाव
इनका लगातार उपयोग पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या और बढ़ सकती है। लंबे समय में, ये उर्वरक किसानों की फसल उत्पादन क्षमता को भी नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे खेती की लागत बढ़ जाती है।
निष्कर्ष: जैविक खेती ही समाधान
रासायनिक खाद (Chemical Fertilizers) के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की उर्वरता, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान हो रहा है। जिस हरित क्रांति ने एक समय खाद्य संकट को दूर किया था, वही अब किसानों और खेती के लिए अभिशाप बनती जा रही है। खेतों की मिट्टी बंजर हो रही है, पानी दूषित हो रहा है, और हमारे स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। इस समस्या का सबसे प्रभावी समाधान जैविक खेती है।
जैविक खेती में प्राकृतिक खाद, जैसे गोबर, वर्मीकम्पोस्ट और जैव उर्वरकों का उपयोग किया जाता है, जो मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखते हैं और पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित होते हैं। जैविक खेती न केवल मिट्टी और पानी की गुणवत्ता को बेहतर बनाती है, बल्कि इससे उगाए गए अनाज और सब्जियां भी स्वास्थ्य के लिए अधिक फायदेमंद होते हैं।
अब समय आ गया है कि हम रासायनिक खाद पर निर्भरता को कम करें और जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाएं। इससे न केवल किसान लाभान्वित होंगे, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित हो सकेगा।
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लगातार पूछे जाने वाले प्रश्न
1. रासायनिक खाद मानव स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करते हैं?
रासायनिक खाद में मौजूद हानिकारक रसायन, जैसे नाइट्रेट्स और फॉस्फेट्स, फसलों में अवशोषित होकर हमारे भोजन में मिल जाते हैं। इन रसायनों का लंबे समय तक सेवन करने से कैंसर, किडनी रोग, और हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
खासकर नाइट्रेट्स का अधिक सेवन पानी या भोजन के माध्यम से होने पर ब्लू बेबी सिंड्रोम जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जो बच्चों के लिए घातक है।
2. रासायनिक उर्वरक और जैविक खाद में क्या अंतर है?
जैविक उर्वरक के उपयोग से मिट्टी पोषक तत्व धीमी गति से बढ़ते हैं और समय के साथ मिट्टी को उपजाऊ बनाकर उसकी गुणवत्ता में सुधार करते हैं। जबकि रासायनिक उर्वरक पोषक तत्वों को तेजी से बढ़ावा देते हैं लेकिन अधिक उपयोग करने पर मिट्टी की गुणवत्ता को कम करते हैं।
ओम गोधवानी
ओम गोधवानी बलवान कृषि में कंटेंट क्यूरेटर विभागाध्यक्ष हैं, जिनके पास कृषि और किसानों से सम्बंधित कंटेंट क्यूरेटशन में कई वर्षों का अनुभव है।