हाइब्रिड टमाटर की खेती से 3 सप्ताह तक नहीं ख़राब होंगे टमाटर

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प्रिय पाठकों, बलवान कृषि के ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है। 

मानसून के वक़्त भारी वर्षा के कारण हर साल टमाटर की कीमतें आसमान छू लेती हैं। इस बार भी 15 से 25 रुपये किलो बिकने वाला टमाटर 100 रुपये प्रति किलो तक पहुँच गया था। महंगाई के इस दौर में आम जनता की जेब पर अधिक भार पड़ रहा है। लेकिन अब हाइब्रिड टमाटर की खेती के रूप में इस समस्या का समाधान मिल चुका है।

हाइब्रिड खेती से पैदावार भी अच्छी होगी और टमाटर 3 सप्ताह से पहले ख़राब भी नहीं होगा, साथ ही टमाटर की बढ़ती कीमतों पर भी काबू पाया जा सकता है।

hybrid tamatar ki kheti

हाइब्रिड टमाटर की खेती बढ़ती कीमतों का समाधान

हाइब्रिड टमाटर की खेती (hybrid tomato farming) किसानों के लिए एक वरदान साबित हो रही है। इसमें विकसित की गई नई किस्में, जैसे कि अर्का रक्षा और अर्का अभेद, न केवल उच्च पैदावार देती हैं बल्कि इनकी शेल्फ लाइफ भी तीन सप्ताह तक होती है। इससे किसानों को टमाटर के लंबे समय तक ताज़ा रखने का फायदा मिलता है और बाजार में कीमतों को स्थिर रखने में मदद मिलती है।

हाइब्रिड टमाटर की खेती के ज़रिए, किसान अब मौसम की अनिश्चितताओं से परेशान हुए बिना, साल भर टमाटर उगा सकते हैं। इस खेती की ख़ास बात यह है कि इसमें इस्तेमाल होने वाले बीज रोग प्रतिरोधक होते हैं, जिससे पैदावार में वृद्धि होती है और उत्पादन लागत में कमी आती है। टमाटर की इस उत्पादन प्रक्रिया के कारण किसानों को अब कम समय में अधिक मुनाफा कमाने का अवसर मिल रहा है।

हाइब्रिड टमाटर की खेती से किसानों के लिए अवसर

उन्नत तकनीकों से टमाटर की उत्पादन प्रक्रिया किसानों को नए अवसर प्रदान कर रही है, जिससे वे अधिक से अधिक लाभ कमा सकते हैं और देश की अर्थव्यवस्था में भी योगदान कर सकते हैं। यह खेती टमाटर की बढ़ती कीमतों और कमी को नियंत्रित करने का एक प्रभावी तरीका है, जिससे न केवल किसान बल्कि उपभोक्ता भी लाभान्वित हो रहे हैं।

हाइब्रिड-टमाटर-की-खेती

क्या होती है हाइब्रिड खेती (Hybrid Farming) ?

हाइब्रिड खेती (Hybrid Farming) : खेती की एक ऐसी आधुनिक तकनीक है जिसमें दो अलग-अलग किस्मों के पौधों को मिलाकर एक नई किस्म विकसित की जाती है। इस प्रक्रिया में उन दोनों पौधों की बेहतरीन गुणों को जोड़कर एक नई और बेहतर किस्म बनाई जाती है।
हाइब्रिड खेती
से पौधों की उपज बढ़ती है, बीमारियों का प्रतिरोध बेहतर होता है, और उनकी गुणवत्ता भी उन्नत होती है। इससे किसान अधिक उत्पादन और बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं। हाइब्रिड बीजों का उपयोग आजकल खेती में तेजी से बढ़ रहा है, खासकर सब्जियों और फलों की खेती में।

देसी और हाइब्रिड टमाटर में क्या अंतर है ?

देसी और हाइब्रिड टमाटरों में स्वाद, रंग, आकार, और कीमतों के आधार पर बड़ा अंतर होता है। देसी टमाटर गोल और रसीले होते हैं, जिनका स्वाद पौष्टिक और खट्टा-मीठा होता है। इनका रंग हल्का हरा और पीला होता है, लेकिन ये अंदर से पूरी तरह पके होते हैं।

दूसरी ओर, हाइब्रिड टमाटर चमकदार लाल, सख्त, और दिखने में आकर्षक होते हैं, लेकिन स्वाद में मिठास और खटास की कमी होती है।

हाइब्रिड टमाटर लंबे समय तक ताजे रहते हैं और दिखने में भी आकर्षक होते हैं, जिससे बाजार में इनकी मांग अधिक होती है। हालांकि, टमाटरों को उगाने में दवाओं और रासायनिक खादों का अधिक उपयोग होता है, जिससे ये स्वास्थ्य के लिए कुछ हद तक कम फायदेमंद हो सकते हैं। 

हाइब्रिड खेती (Hybrid farming) में किसानों को उच्च पैदावार का लाभ मिलता है, लेकिन इसमें प्राकृतिक स्वाद और पौष्टिकता की कमी महसूस हो सकती है।

इसके विपरीत, देसी टमाटर की खेती प्राकृतिक रूप से होती है, जिसमें रासायनिक पदार्थों का कम से कम उपयोग किया जाता है। देसी टमाटर के पौधे कम समय में ही फल देते हैं, लेकिन इनकी शेल्फ लाइफ कम होती है, जिससे इन्हें जल्द ही उपभोग करना पड़ता है।

हाइब्रिड खेती  के चलते किसान उच्च उपज के साथ-साथ बेहतर आय प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन पारंपरिक खेती का स्वाद और स्वास्थ्य लाभ इससे कहीं अधिक होता है।

इसलिए, हाइब्रिड और देसी के बीच चयन करते समय किसानों को स्वाद, स्वास्थ्य, और बाजार की मांग को ध्यान में रखना चाहिए।

टमाटर की हाइब्रिड किस्में

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने टमाटर की दो हाईब्रिड किस्में ‘अर्का रक्षक’ और ‘अर्का अभेद’ विकसित की हैं, जो बेहतर उत्पादन के साथ-साथ टमाटर की शेल्फ लाइफ को भी बढ़ाने वाली हैं। अभी बाजार में बिकने वाले टमाटरों की शेल्फ लाइफ केवल 8-10 दिन होती है, लेकिन इन नई किस्मों के टमाटरों की शेल्फ लाइफ 3 सप्ताह तक होने का दावा किया जा रहा है।

अगर किसान इन किस्मों को अपनाते हैं, तो मानसून के दौरान टमाटर की बढ़ती कीमतों पर काबू पाया जा सकता है। Hybrid crop के रूप में ‘अर्का रक्षक’ और ‘अर्का अभेद’ न केवल उत्पादन को बढ़ाने में सहायक हैं, बल्कि उनके लंबे समय तक ताजे बने रहने की क्षमता भी किसानों के लिए एक बड़ा लाभ है।

हाइब्रिड टमाटर की खेती के जरिए, किसान इस नई तकनीक का फायदा उठाकर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। इसके अलावा, Hybrid crop का उपयोग किसानों को बाजार में अपनी उपज को लंबे समय तक बनाए रखने में मदद करता है, जिससे उन्हें बेहतर दाम मिल सकते हैं और टमाटर की बढ़ती कीमतों पर भी नियंत्रण रखा जा सकता है।

इस प्रकार, इन नई किस्मों का उपयोग करके किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं और उपभोक्ताओं को भी राहत मिल सकती है।

10 साल की बीज बिक्री से 3,600 करोड़ का कारोबार

भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR) के वरिष्ठ वैज्ञानिक चंद्रशेखर सी के अनुसार, भारत का पहला ट्रिपल रोग प्रतिरोधी टमाटर एफ-1 हाइब्रिड ‘अर्का रक्षक,’ जो कि 2012 में विकसित किया गया था, वर्तमान में 7000 हेक्टेयर में उगाया जा रहा है।

टमाटर की हाइब्रिड किस्में जैसे ‘अर्का रक्षक’ और ‘अर्का अभेद’ न केवल अधिक उत्पादन देती हैं, बल्कि टमाटरों की शेल्फ लाइफ को भी बढ़ाने में सक्षम हैं।

इस हाइब्रिड तकनीक का लाइसेंस 11 कंपनियों को दिया गया है, जिनका अनुमान है कि 2012-22 के दौरान बीज की बिक्री से इनका कारोबार 3,600 करोड़ रुपये रहा है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि हाइब्रिड टमाटर के लाभ किसानों और कंपनियों दोनों के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।

इसके साथ ही तीन साल पहले जारी की गई किस्म ‘अर्का अभेद’ की शेल्फ लाइफ भी 3 सप्ताह है, जिससे इस किस्म की फसल को किसान दूर के बाजारों में भी भेज सकते हैं।

टमाटर की हाइब्रिड किस्में जैसे ‘अर्का रक्षक’ और ‘अर्का अभेद’ केवल शेल्फ लाइफ बढ़ाने में ही नहीं, बल्कि टमाटरों को विभिन्न बीमारियों से भी सुरक्षित रखने में सक्षम हैं। ये दोनों किस्में रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ आती हैं, जो कि किसानों के लिए बेहद फायदेमंद हैं।

हाइब्रिड टमाटर के लाभ के रूप में, किसानों को न केवल उच्च उत्पादन और बेहतर शेल्फ लाइफ मिलती है, बल्कि उन्हें इस फसल में अधिक स्थिरता और बाजार में बेहतर दाम भी प्राप्त होते हैं।

इस प्रकार,  टमाटर की हाइब्रिड किस्में भारतीय टमाटर खेती में एक नया आयाम जोड़ा रही है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो रही है और उन्हें बाजार की चुनौतियों का सामना करने में मदद मिल रही है।

भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR) और राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) के बीच साझेदारी

वैसे तो हम इन दोनों किस्मों से काफी आशा रख सकते हैं, लेकिन बाजार में टमाटर की बढ़ती कीमतों को स्थिर करने में उनकी सफलता पूरी तरह से किसानों पर निर्भर करेगी। Hybrid tomato seeds का व्यापक रूप से उपयोग करने और उन्हें अपनाने के लिए किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। यह जागरूकता न केवल किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगी बल्कि टमाटर की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करने में भी सहायक होगी।

टमाटर की फसल की सफलता और स्थिरता के लिए टमाटर की बुवाई के सही समय और उचित तकनीकों को अपनाना आवश्यक है। IIHR ने हाल ही में Hybrid tomato seeds की बिक्री और कवरेज बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय बीज निगम (National Seed Corporation) के साथ साझेदारी की है। इस साझेदारी का उद्देश्य इन नई किस्मों के बीज को देश भर में पहुंचाना है ताकि विविध कृषि-जलवायु क्षेत्रों में किसान इन्हें आसानी से प्राप्त कर सकें और टमाटर की बुवाई के लिए इनका उपयोग कर सकें।

सरकारी पहल और किसानों के बीच इन किस्मों को अपनाने के प्रयासों पर बहुत कुछ निर्भर करता है। यदि किसानों को इन किस्मों के लाभों के बारे में सही जानकारी मिलती है, तो वे निश्चित रूप से टमाटर की फसल के उत्पादन में वृद्धि कर सकते हैं और बाजार में कीमतों को स्थिर करने में अपना योगदान दे सकते हैं।

इस प्रकार, Hybrid tomato seeds का प्रसार और टमाटर की बुवाई के लिए इनका उपयोग भारतीय किसानों के लिए एक बड़ा अवसर हो सकता है, जिससे वे अधिक मुनाफा कमा सकते हैं और टमाटर की कीमतों को स्थिर करने में मदद कर सकते हैं।

हाइब्रिड खेती की आवश्यकता

आज के दौर में हाइब्रिड खेती (Hybrid kheti) की आवश्यकता इसलिए बढ़ गई है क्योंकि इससे खेती में अधिक उपज और बेहतर गुणवत्ता प्राप्त की जा सकती है। बढ़ती जनसंख्या और खाद्य सामग्री की मांग को पूरा करने के लिए हाइब्रिड खेती (Hybrid kheti) का उपयोग करना अनिवार्य हो गया है।

हाइब्रिड बीज, जैसे Hybrid tomato, पौधों को बीमारियों से बचाने, मौसम की चुनौतियों का सामना करने, और फसलों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

Hybrid tomato के बीजों का उपयोग करके किसान कम समय में अधिक उत्पादन कर सकते हैं, जिससे उनकी आय में भी वृद्धि होती है। इसके साथ ही, हाइब्रिड तकनीक के कारण फसलों की गुणवत्ता में सुधार होता है, जिससे उन्हें बाजार में बेहतर दाम मिल सकते हैं।

इस प्रकार, हाइब्रिड खेती (Hybrid kheti) ने कृषि को अधिक लाभदायक और टिकाऊ बनाने में अहम योगदान दिया है, जिससे किसानों को लंबे समय तक फायदा हो सकता है।

हाइब्रिड टमाटर की खेती के लिए आधुनिक कृषि यंत्र

आधुनिक और हाइब्रिड खेती में जब किसान को आधुनिक मशीनों का साथ मिल जाये तो वो अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। ऐसी ही आधुनिक मशीनों में बलवान मिनी टिलर हाइब्रिड टमाटर की खेती (hybrid tamatar ki kheti) के लिए एक दम बेस्ट है।

बलवान मिनी टिलर मशीन से किसान 250 रूपये प्रति बीघा से भी कम खर्चे में कपास, सोयाबीन, फूलो, सब्जियों, बागवानी और गन्ने जैसी कई फसलों के लिए, निराई एवं गुड़ाई का काम बड़ी आसानी से कर सकते है। यह मशीन छोटी से छोटी जगह में भी आसानी से काम करने में सक्षम है और 5-6 इंच गहराई और 16 इंच चौड़ाई तक गुड़ाई कर सकती है। साथ ही किसानों को मजदूरी पर अनावश्यक पैसा खर्च करने की जरुरत भी नहीं है। 

यदि आप बलवान मिनी टिलर या फिर खेती की दूसरी आधुनिक मशीनों की जानकारी लेना चाहते हैं तो Balwaan Krishi की वेबसाइट पर क्लिक करें।

लगातार पूछे जाने वाले प्रश्न​

  1. हाइब्रिड टमाटर (Hybrid tomato) कैसे बनाए जाते हैं?

 हाइब्रिड टमाटर को बनाने के लिए जानबूझकर एक पौधे की दो अलग अगल किस्मों के बीच परागण करवाया जाता है। 

  1. हाइब्रिड टमाटर के उत्पादन के लिए कौन सी खाद का उपयोग करें?

 हाइब्रिड टमाटर के उत्पादन में मुख्यतः जैविक खाद का उपयोग किया जाता है। खाद के रूप में 20 से 25 मैट्रिक टन गोबर की खाद, 200 किलो नत्रजन, 100 किलो फाॅस्फोरस व 100 किलो पोटाश होता है। 

  1. सबसे ज्यादा उपज देने वाला टमाटर कौन सा है?

 टमाटर की नामधारी- 4266 किस्म सबसे कम लागत में ज्यादा उत्पादन देने वाली किस्म है। 

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ओम गोधवानी

ओम गोधवानी बलवान कृषि में कंटेंट क्यूरेटर विभागाध्यक्ष हैं, जिनके पास कृषि और किसानों से सम्बंधित कंटेंट क्यूरेटशन में कई वर्षों का अनुभव है।

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