‘जय जवान जय किसान’ का नारा देने वाले महानायक :  लाल बहादुर शास्त्री जी

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श्री लाल बहादुर शास्त्री जी
लाल बहादुर शास्त्री जी

औजस्वी वाक्य, भाषण और नारे चिरकाल तक ब्रम्हांड में गुंजायमान रहते हैं। एक आदमी की आयु निश्चित समय की होती है लेकिन आवाज़ों की कोई आयु नहीं होती। इनमे ऐसी कई आवाज़ें होती हैं जो अनंतकाल तक नयी पीढ़ी को प्रेरणा देती रहती है। इन आवाज़ों में से एक आवाज़ थी भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की।

इनका दिया हुआ एक नारा “जय जवान जय किसान” आज भी देश के नागरिकों, जवानों और किसानों के लिए प्रेरणा का स्तोत्र बना हुआ है। आज तारीख है 2 अक्टूबर और आज के दिन जन्म हुआ था देश के महानायक श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का। आज के इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे उनके आदर्श व्यक्तित्व और प्रेरणादायी जीवन के बारे में और साथ ही जानेंगे उनके दिए गए नारे का महत्व।

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी : प्रारंभिक जीवन

2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सात मील दूर एक छोटे से रेलवे टाउन, मुगलसराय में शास्त्री जी का जन्म हुआ था। उनके पिता अध्यापक थे। शास्त्री जी जब डेढ़ वर्ष के हुए तब उनके पिताजी का देहांत हो गया था। पिता के देहांत के बाद उनकी माताजी तीनो बच्चों के साथ उनके पिता के घर यानि शास्त्री जी के नानाजी के घर बस गयीं।

बचपन की औपचारिक शिक्षा के बाद उन्हें अपने चाचा के घर बेज दिया गया ताकि वे उच्च विद्यालय की शिक्षा प्राप्त कर सकें। वे कई मील की दूरी नंगे पांव से ही तय कर विद्यालय जाते थे, यहाँ तक की भीषण गर्मी में जब सड़कें अत्यधिक गर्म हुआ करती थीं तब भी उन्हें ऐसे ही जाना पड़ता था। इसके बाद शास्त्री जी ने काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि प्राप्त की।

स्वतंत्रता आंदोलनों में योगदान

शास्त्री जी वाराणसी के काशी विद्या पीठ, जहां से वे स्नातक कर रहे थे वहाँ कई राष्ट्रवादी व्यक्तियों के संपर्क में आये और वहाँ से शुरू हुई इनकी वास्तविक यात्रा। शास्त्री जी ने कई स्वतंत्रता आन्दोलनों में भाग लिया।1930 में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के द्वारा बनाये गए नमक कानून के खिलाफ दांडी यात्रा की।

लाल बहादुर शास्त्री जी ने इस यात्रा में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। उन्होंने कई ऐसे अभियानों का नेतृत्व किया और इसी कारण उन्हें कुल 7 वर्ष तक ब्रिटिश जेल में भी रहना पड़ा। इन सभी संघर्षों से लड़ने के कारण उनकी छवि एक परिपक्व नेता के रूप में उभर के आयी।

जय जवान जय किसान का नारा

भारत की आज़ादी के बाद कांग्रेस सत्ता में आयी और देश के पहले प्रधानमंत्री बने पंडित जवाहर लाल नेहरू। 27 मई 1964 को नेहरू जी की मृत्यु के बाद शास्त्री जी ने 9 जून 1964 को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में कार्य भार संभाला।

वर्ष 1965 में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया और इसी युद्ध के दौरान देश के जवानों और किसानों का मनोबल बढ़ाने के लिए शास्त्री जी ने इलाहाबाद जिले के उरुवा गाँव में एक सार्वजनिक सभा के दौरान नारा दिया “जय जवान, जय किसान” ! 

उनके द्वारा दिया हुआ ये नारा जनता के बीच, देश के जवानों और किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय हुआ। ये नारा दिया गया सीमा पर देश के लिए लड़ रहे किसानों के लिए और खाद्यान की समस्या से झूझ रहे किसानों के लिए।

शास्त्री जी द्वारा कृषि क्षेत्र वृद्धि और सुधार के लिए किये गए कार्य

उनके कार्यकाल में जब देश खाद्य संकट से झूझ रहा था, इस स्थिति को लेकर लाल बहादुर शास्त्री जी बहुत चिंतित थे। इस स्थिति पर उन्होंने विशेष ध्यान देना शुरू किया। एक प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने सबसे पहला काम किया कृषि क्षेत्र के लिए बजट बढ़ाने का। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की सुविधा लाल बहादुर शास्त्री की वजह से ही मिली।

इसके अलावा उन्होंने हरित क्रांति की नींव रखी, कई कृषि सुधार कार्यक्रमों को अपना समर्थन दिया। किसानों में उत्साह भरने के लिए उन्होंने खुद हल चलाया। साथ ही उन्होंने कृषि क्षेत्र में कई सुधार लागू किए, सिंचाई के लिए नहरें बनवाईं।1965 में एक तरफ तो देश भयंकर अकाल आया हुआ था और दूसरी तरफ पाकिस्तान के साथ युद्ध भी छिड़ गया था। ऐसे में उन्होंने देश वासियों से सप्ताह में एक दिन का उपवास रखने की अपील की ताकि हमारी विदेशों के ऊपर निर्भरता कम हो।

निष्कर्ष | Conclusion

लाल बहादुर शास्त्री जी का जीवन और उनके विचार न केवल भारतीय राजनीति के लिए बल्कि देश के किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए भी प्रेरणास्रोत रहे हैं। उनके द्वारा दिया गया “जय जवान, जय किसान” का नारा आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उस समय था, क्योंकि यह नारा देश के दो महत्वपूर्ण स्तंभों—सैनिक और किसान—के योगदान को सम्मानित करता है।

शास्त्री जी के कार्यकाल में कृषि सुधारों और नीतियों ने भारतीय किसानों की स्थिति को सुधारने की दिशा में अहम भूमिका निभाई। खाद्यान संकट के समय उनके द्वारा उठाए गए कदम, जैसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की शुरुआत और हरित क्रांति का समर्थन, आज भी कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी माने जाते हैं। उनके नेतृत्व में कृषि क्षेत्र को विशेष ध्यान मिला और सिंचाई सुविधाओं के विकास के साथ किसानों को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रेरित किया गया।

कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों के कल्याण के प्रति शास्त्री जी का समर्पण आज के किसानों के लिए एक प्रेरणा है। उनके द्वारा उठाए गए कदमों से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि देश का भविष्य तब ही उज्ज्वल हो सकता है जब उसके किसान खुशहाल और सशक्त होंगे।

Balwaan Krishi की ओर से आप सभी पाठकों का धन्यवाद, जिन्होंने लाल बहादुर शास्त्री जयंती के इस विशेष अवसर पर हमारे ब्लॉग को अपना समय और ध्यान दिया। आपके समर्थन से हम किसानों और कृषि क्षेत्र के उत्थान के लिए समर्पित रहकर निरंतर आगे बढ़ते रहेंगे। 

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ओम गोधवानी

ओम गोधवानी बलवान कृषि में कंटेंट क्यूरेटर विभागाध्यक्ष हैं, जिनके पास कृषि और किसानों से सम्बंधित कंटेंट क्यूरेटशन में कई वर्षों का अनुभव है।

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