खाद्य सुरक्षा योजना 2024 (Khadya Suraksha Yojana)|भारत में खाद्य सुरक्षा की आवश्यकता

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खाद्य सुरक्षा योजना | Khadya suraksha yojana
खाद्य सुरक्षा योजना

खाद्य सुरक्षा आज के समय में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है। खासकर जब जनसंख्या बढ़ती जा रही है, तो हर देश के लिए अपने नागरिकों को पर्याप्त और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है।

भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश के लिए खाद्य सुरक्षा योजना की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है।अगर हम भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति पर नजर डालें, तो यह समस्या और भी स्पष्ट हो जाती है। श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देशों में भुखमरी के हालात पैदा हो चुके हैं।

वहां की सरकारें खाद्य सामग्रियों की आपूर्ति और कीमतों को नियंत्रित करने में नाकाम साबित हो रही हैं। इस कारण से खाद्य सामग्रियों की भारी कमी हो गई है, और जो सामग्री उपलब्ध है, उसकी कीमतें आसमान छू रही हैं। इन देशों के लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हो रहे हैं, जो कि बहुत चिंताजनक है। 

लेकिन भारत के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यहां सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है। भारत सरकार द्वारा समय-समय पर कई योजनाएं चलायी जाती हैं ताकि सबको पर्याप्त भोजन मिले और कोई भी व्यक्ति भूखा ना सोये।

इसमें खाद्य सुरक्षा योजना (Khadya suraksha yojana) का महत्वपूर्ण योगदान है, जिसके तहत जरूरतमंद लोगों को रियायती दरों पर अनाज उपलब्ध कराया जाता है।

भारत की खाद्य सुरक्षा योजना (Khadya suraksha yojana) ने करोड़ों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव किया है। इस योजना के तहत, सरकार सुनिश्चित करती है कि देश के हर गरीब और वंचित व्यक्ति को कम से कम इतनी मात्रा में भोजन मिले कि वह भूखा न रहे।

यह योजना न केवल लोगों के पेट भरने में सहायक सिद्ध हो रही है, बल्कि इससे देश की आर्थिक स्थिति को भी स्थिर बनाए रखने में मदद मिल रही है।

खाद्य सुरक्षा योजना क्या है?

खाद्य सुरक्षा का मतलब होता है कि सभी लोगों को पर्याप्त,अच्छा और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन मिले। इसके अलावा इसका मकसद यह है कि किसी भी इंसान को भूखा न रहना पड़े, चाहे वो किसी भी वर्ग का हो और किसी भी क्षेत्र में रहता हो।

खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकारें खाद्य सुरक्षा योजना (Khadya suraksha yojana) और इससे सम्बंधित कई योजनाएं और प्रोग्राम्स चलाती हैं ताकि हर व्यक्ति को खाने के लिए पर्याप्त भोजन मिल सके।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन की शुरुआत

भारत में खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए “राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन” (National Food Security Mission) की शुरुआत 2007 में की गई थी। इसका उद्देश्य अनाज, दलहन और तिलहन की पैदावार बढ़ाकर देश को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाना था। यह मिशन खासकर उन क्षेत्रों पर फोकस करता है जहां खाद्यान्न उत्पादन में कमी देखी जाती है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSA) पात्रता और लाभ

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन अधिनियम (NFSA) 2013 में लागू किया गया था, जिसे खाद्य सुरक्षा कानून के नाम से भी जाना जाता है। इस कानून के तहत, गरीब और वंचित वर्गों को सस्ता अनाज उपलब्ध कराया जाता है।

इस अधिनियम के तहत जो परिवार आते हैं उन परिवारों को 2 रुपये प्रति किलो चावल, 3 रुपये प्रति किलो गेहूं और 1 रुपये प्रति किलो मोटा अनाज दिया जाता है।

NFSA के तहत पात्रता के लिए लाभार्थी परिवारों की पहचान की जाती है, जो कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोग होते हैं।

इसके अलावा, इस कानून के तहत हर गर्भवती महिला और स्तनपान कराने वाली मां को पोषण सहायता भी दी जाती है।

भारत में खाद्य सुरक्षा योजना-2024

भारत में खाद्य सुरक्षा योजना-2024 के अंतर्गत सरकार की योजनाओं में खाद्य सुरक्षा को और भी मजबूत बनाने का फोकस रहेगा। सरकार अधिक से अधिक गरीब परिवारों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन NFSA के तहत कवर करने का प्रयास कर रही है।

इसके अलावा, किसानों को खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिए अधिक समर्थन देने की योजना है, जिससे देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।सरकार ने खाद्यान्न वितरण प्रणाली को डिजिटलीकृत करने का भी लक्ष्य रखा है ताकि वितरण में पारदर्शिता बढ़ सके और अनाज सही हाथों तक पहुंचे।

इसके साथ ही, कृषि के क्षेत्र में नए तकनीकी और वैज्ञानिक उपायों को बढ़ावा देने की योजना है ताकि पैदावार में सुधार हो सके और किसानों की आय भी बढ़ाई जा सके।

खाद्य सुरक्षा योजना

राज्य सरकारों की नीतियां और योजनाएं

खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारें भी केंद्र सरकार के साथ मिलकर कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही हैं। राज्य सरकारें अपनी क्षेत्रीय जरूरतों और चुनौतियों के आधार पर विभिन्न योजनाएं और नीतियां लागू कर रही हैं। आइए, कुछ प्रमुख राज्य सरकारों की नीतियों और योजनाओं पर नजर डालते हैं:

1. सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में सुधार

कई राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को और ज्यादा Effective और transparent बनाने के लिए कदम उठा रही हैं। उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु जैसी राज्य सरकारों ने PDS के तहत राशन कार्डधारकों को समय पर और सही मात्रा में अनाज उपलब्ध कराने के लिए डिजिटलीकरण और Biometric Verification का उपयोग किया है। जिसके कारण खाद्य वितरण में होने वाली धांधली बहुत हद तक कम हुई है।

2. स्थानीय फसलों को बढ़ावा देना

खाद्य सुरक्षा योजना के तहत कुछ राज्य सरकारें स्थानीय फसलों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहन दे रही हैं। उदाहरण के लिए, ओडिशा और झारखंड जैसी राज्य सरकारें मोटे अनाज (जैसे ज्वार,बाजरा) की खेती को प्रोत्साहित कर रही हैं क्योंकि ये फसलें पोषण से भरपूर होती हैं और जलवायु परिवर्तन का भी इन फसलों पर ज्यादा असर नहीं होता है।

3. मिड-डे मील और आंगनवाड़ी कार्यक्रमों में सुधार

कर्नाटक, महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों ने मिड-डे मील और आंगनवाड़ी कार्यक्रमों के तहत बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार देने के लिए स्थानीय स्तर पर उत्पादित खाद्य पदार्थों का उपयोग करने की योजना बनाई है। इससे न केवल बच्चों और महिलाओं को बेहतर पोषण सुरक्षा  मिलेगी, बल्कि स्थानीय किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।

4. आपदा प्रबंधन और खाद्यान्न भंडारण

बिहार और असम राज्य सरकारें, जो अक्सर बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना करती हैं, खाद्यान्न भंडारण और आपदा प्रबंधन में सुधार के लिए नई योजनाएं बना रही हैं। यह राज्य सरकारें नई तकनीकों का उपयोग कर सुरक्षित और टिकाऊ गोदामों का निर्माण कर रही हैं, ताकि आपदा के समय खाद्यान्न की कमी न हो।

5. सस्ते भोजन की योजनाएं

कुछ राज्य सरकारें गरीब और वंचित वर्गों के लिए सस्ते दर पर भोजन उपलब्ध कराने की योजनाएं चला रही हैं। तमिलनाडु में ‘अम्मा कैंटीन’, दिल्ली में ‘जन आहार’, और राजस्थान में ‘अन्नपूर्णा रसोई योजना’ जैसी योजनाएं इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इन योजनाओं के तहत गरीब लोगों को बहुत कम कीमत पर पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है।

6. राज्य विशेष खाद्य सुरक्षा योजनाएं

राज्यों में अपनी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष योजनाएं भी लागू की गई हैं। उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल सरकार ने ‘खाद्य साथी’ योजना शुरू की है, जिसके तहत राज्य के 90% परिवारों को सस्ता अनाज उपलब्ध कराया जाता है। इसी तरह, हरियाणा सरकार ने ‘अन्न भाग्य योजना’ लागू की है, जिसमें गरीब परिवारों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया जाता है।

राज्य सरकारों की ये नीतियां और योजनाएं केंद्र सरकार के अन्न सुरक्षा योजना के लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इन प्रयासों के माध्यम से, राज्य सरकारें न केवल अपने नागरिकों के लिए भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित कर रही हैं, बल्कि उन्हें पौष्टिक आहार भी प्रदान कर रही हैं।

खाद्य सुरक्षा से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलू

खाद्य भंडारण और वितरण:  अन्न सुरक्षा योजना को सुनिश्चित करने के लिए खाद्य भंडारण और वितरण प्रणाली को मजबूत बनाना बहुत जरूरी है। सही भंडारण न होने की वजह से हर साल बड़ी मात्रा में अनाज खराब हो जाता है। सरकार इस दिशा में नए गोदाम बनाने और मौजूदा गोदामों की स्थिति सुधारने पर जोर दे रही है।

कुपोषण की समस्या:  कुपोषण भी खाद्य सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। केवल पेट भरना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि सही पोषण भी जरूरी है। सरकार मिड-डे मील और आंगनवाड़ी कार्यक्रमों के जरिए बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार देने का प्रयास कर रही है।

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:  जलवायु परिवर्तन भी खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करता है। बाढ़, सूखा, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की वजह से फसल उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है। सरकार इस दिशा में फसल बीमा योजना और आपदा प्रबंधन की योजनाओं को लागू कर रही है।

टिकाऊ खेती:  टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। इसमें जैविक खेती, जल संरक्षण, और फसल विविधता पर जोर दिया जा रहा है ताकि खेती को पर्यावरण संरक्षण के अनुकूल और लाभकारी बनाया जा सके।

खाद्य सुरक्षा से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलू

खाद्य सुरक्षा योजना के उद्देश्य समाज के हर वर्ग को सस्ता और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है। इस योजना का मुख्य लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे और सभी को पर्याप्त मात्रा में अनाज मिले।

खाद्य सुरक्षा योजना के उद्देश्य में गुणवत्तापूर्ण खाद्य सामग्री का वितरण और पोषण सुरक्षा स्तर को बढ़ाना भी शामिल है, ताकि देश का हर नागरिक स्वस्थ और समृद्ध जीवन जी सके।

निष्कर्ष

खाद्य सुरक्षा किसी भी देश के विकास और समाज की समृद्धि के लिए बेहद जरूरी है। 2024 में भारत सरकार की योजनाएं इस दिशा में बड़े कदम उठा रही हैं ताकि हर व्यक्ति को भोजन की कमी का सामना न करना पड़े।

खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए न केवल अनाज का उत्पादन बढ़ाना जरूरी है, बल्कि उसके सही वितरण और पोषण सुरक्षा के महत्व को भी समझना आवश्यक है।

इसके अलावा, खाद्य सुरक्षा योजना के तहत खाद्य सामग्री की गुणवत्ता और वितरण व्यवस्था में सुधार किया जा रहा है ताकि हर व्यक्ति तक सही मात्रा में और गुणवत्तापूर्ण भोजन पहुँच सके।

यह सुनिश्चित करना कि हर व्यक्ति को पर्याप्त और पौष्टिक भोजन मिले, समाज के सभी वर्गों की भलाई के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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लगातार पूछे जानें वाले प्रश्न

1. खाद्य सुरक्षा योजना कब चालू हुई थी?

खाद्य सुरक्षा योजना (National Food Security Act) भारत में 5 जुलाई 2013 को लागू की गई थी। इस योजना के अंतर्गत, राजस्थान सरकार गरीब लोगों को उचित मूल्य पर पर्याप्त गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थ प्रदान करती है।

2. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन का उद्देश्य क्या है?

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन का उद्देश्य लोगों को सम्मानजनक जीवन जीने के लिए उचित मूल्य पर अच्छी गुणवत्ता वाला पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराना, ताकि उन्हें उनके जीवन के हर चरण में सही पोषण और खाद्य सुरक्षा मिल सके।

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ओम गोधवानी

ओम गोधवानी बलवान कृषि में कंटेंट क्यूरेटर विभागाध्यक्ष हैं, जिनके पास कृषि और किसानों से सम्बंधित कंटेंट क्यूरेटशन में कई वर्षों का अनुभव है।

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